शुक्रवार, 16 जनवरी 2009

पढ़ी लिखी जावा--------


पढ़ी लिखी जावा मेरी प्यारी भुलियों

बणावा ये गढ़वाल तें तुम महान

रोशन ह्वे जालू यू गढ़ हमारू

करला अगर जू तुम अशिक्षा कू निदान

जाणदीच सारी दुनियाँ कि,

गढ़वाल की नारी कू मनोबल च महान

करा हीं अशिक्षा तें दूर,

दीक तुम अफड़ू योगदान।।

रविवार, 11 जनवरी 2009

न रूले तीं तें


नी जाणी कख हरीची गई

आज तलें त्वे क्वी याद कनु बैठी

तीं तिबारी मा,

आज बी स्या तनी द्येखणी

जनी द्येखणी थे त्वे औंदी बत

आज बी स्या तनी रूँणी

जनी रूँणी थे त्वे छौड्यांदी बत

आज बी तींका आँसू तनी बगड्याँ

बगीनी जनी त्वे छौड्यांदी बत

न रूले पापी तीं तें

झीं दड़ी सौं खाईन

फेरा लिंदी बत।।