चला जी मैं बी लिकरा दगड़ा मा
छोड़ा यूँ बूढ़-बूढ़्यों रगड़ा मा
चला जी मैं बी लिकरा दगड़ा,
जोला द्वी परदेश बाजार दगड़ा मा
आला जब तुम ड्योटी बिठी
बणेक रखलू मैं, अलग-अलग खाणूं
खोला बैठिक दगड़ा मा
चला जी--------------,
रंदा तुम तख परदेश
लग्यूं रंदू मैं यख धाणीं पर
खुदेंदा तुम तख मैं बिगर
खूदेंदू मैं तुम बिगर फोंगड़्यों मा
नाश ह्वेगी म्यरा शरीर कु यख,
खिलोला प्रेम का गुल तख दगड़ा मा
छोड़ा यूँ बूढ़-बूढ़्यों जू लग्यां रंदा
चला जी----------------------,
छोड़ा यूँ तें जू लग्याँ रंदा-
दिन-रात झगड़ा मा,
चला जी मैं बी लिकरा दगड़ा मा
छोड़ा यूँ बूढ़-बूढ़्यों रगड़ा मा।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें