कुछ पढ़ी तैं---
गढ़वाल का महान कवि, लेखक डॉ.पार्थसारथि डबराल कै परिचय का मोताज नी छन। त्वोंकी कुछ गढ़वाली कविता,जु की डॉ. रमेश पोखरियाल “निशंक” जी न स्मरणम् नामक किताब मा वर्णित करीन त्वों तैं मैं आप लोगु का बीचमा प्रदर्शित छों कनु । अगर कै बी महानुभाव सणी क्वी आपत्ति होली त म्यरा ई-मेल पता(dkairwan@gmail.com) पर संम्पर्क करू।
देशका प्रति---------
अखण्डित देश छ अपणो
न ये तैं होण द्या मैलो,
बणा सद्भावना क साथ
अपणो देश बिगरैलो।
समाज का जातिवाद का प्रति---
मिटै द्या जाति का बन्धन
पटै द्या वर्ण की क्यारी
लगावा जोळ तुम इन्नो
कि चौरस ह्वै जयाँ सारी।
परदेश मा पहाड़ की याद---
मेवुड़ी बासदी
दगड्या तेरी याद आंद,
बसग्याळि गदन सि ऐन
आंसु न संपुनि बगैन
प्राण उबलि-उबलि आँद
कैकि नी धराँद।
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