रविवार, 14 दिसंबर 2008

कुछ पढ़ी तैं---------

कुछ पढ़ी तैं---

गढ़वाल का महान कवि, लेखक डॉ.पार्थसारथि डबराल कै परिचय का मोताज नी छन। त्वोंकी कुछ गढ़वाली कविता,जु की डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक जी न स्मरणम् नामक किताब मा वर्णित करीन त्वों तैं मैं आप लोगु का बीचमा प्रदर्शित छों कनु । अगर कै बी महानुभाव सणी क्वी आपत्ति होली त म्यरा ई-मेल पता(dkairwan@gmail.com) पर संम्पर्क करू।

देशका प्रति---------

अखण्डित देश छ अपणो

न ये तैं होण द्या मैलो,

बणा सद्भावना क साथ

अपणो देश बिगरैलो।

समाज का जातिवाद का प्रति---

मिटै द्या जाति का बन्धन

पटै द्या वर्ण की क्यारी

लगावा जोळ तुम इन्नो

कि चौरस ह्वै जयाँ सारी।

परदेश मा पहाड़ की याद---

मेवुड़ी बासदी

दगड्या तेरी याद आंद,

बसग्याळि गदन सि ऐन

आंसु न संपुनि बगैन

प्राण उबलि-उबलि आँद

कैकि नी धराँद।

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