भैजी चलीगी नेतागिरी मा
माँ-बाबा रैगीनी धकों धका मा
माँ-बाबा न फोंगड़ी ब्येची
पढ़ाई-लिखाई बड़ा स्कूल मा
माँ-बाबा सोची पढ़ी-लिखीक
बणंलू म्यरू साब कै ओफिस मा
भैजी चलीगी नेतागिरी मा।
जब चलीगी सू नेतागिरी मा
त रखण क्याच अब त्येसी क्वी आशा
सू चलीगी तीं गिरी मा
जौंन दिनी देश तें निरशा
त्यौंन क्या रखण घर
सू भी शामिल ह्वेगी तीं मंडली मा
भैजी चलीगी नेतागिरी मा।।
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