शुक्रवार, 5 जून 2009

शब्दों के भेद------------

शब्दों के भेद

ब्युत्पति के अनुसार शब्दों के तीन भेद किये गये हैं। गढ़वाली में वे इस रूप में हैं।

१) रूढ़- अर्थात जो किसी अन्य शब्द के योग से न बने हों। जैसे- पाड़, गाड, ढुँगो आदि

२) यौगिक- अर्थात जो अन्य शब्दों के याग से बने हों। जैसे- बिज्वाड़, रोपाक आदि

३) योग रूढ़- अर्थात जो यौगिक शब्दों की तरह अन्य शब्दों के योग बनें हों, किन्तु जिन जिन शब्दों के योग से वे बने हैं उनमें निहित अर्थ को प्रकट न करके कोई और भी अर्थ प्रकट करते हैं। जैसे- हथछेडो, भुँयांकरो आदि

प्रयोगानुसार शब्द भिन्न भिन्न जातियों के होते हैं। कोई व्यक्ति का सूचक होता है। तो कोई किसी व्यक्ति के बारे में विधान करता है। इस दृष्टि से शब्दों के दो भेद हैं विकारी और अविकारी । विकारी वह शब्द होता है जिसमें अर्थानुसार कोई विकार या परिवर्तन होता है और अविकारी शब्द वह होता है जिसमें कोई परिवर्तन नहीं होता।

विकारी शब्द के चार भेद होते हैं १) संज्ञा २) सर्वनाम ३) विशेषण ४) क्रिया

अविकारी शब्द के भी चार भेद होते हैं-१) क्रिया विशेषण २) संबंध बोधक ३) योजक ४) विस्मयादि बोधक।

कोई टिप्पणी नहीं: