पहाड़ी भाइयों तैं चार पंक्ति
लड़ी लड़ी रे, मरी मरी रे,
पर थकी नी तू कबी,
देश का खातिर त्वेन जान दिनी,
म्यरा पहाड़ी जवान रे कबी।
कैन बोली पहाड़ी छोरा,
कैन जांबाज कबी,
लड़ी लड़ी रे, मरी मरी रे,
पर थकी नी तू कबी।।
देश की सीमा पर बी तू च,
देश का बाहेर बी तू,
कबी जवान का रूप मा,
कबी खेत मा च तू,
संघर्ष भर्यों जीवन च तेरू,
हरी न रे लाड़ा कबी,
लड़ी लड़ी रे, मरी मरी रे,
पर थकी नी तू कबी।।।
जन्म भूमि कू बी तू प्यारू,
कर्म भूमि कू बी प्यारू,
रखी हमेशा शाक अफड़ी,
बिकी न कै लालच मा तू,
लड़ी लड़ी रे, मरी मरी रे
पर थकी नी तू कबी।V
1 टिप्पणी:
bahut - bahut sundar bhai
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