वचन
संज्ञा तथा अन्य विकारी शब्दों के जिस रूप से उसके वाच्य पदार्थ की संख्या का ज्ञान होता है उसे वचन कहते हैं।
हिन्दी की ही भाँति गढ़वाली में भी एक वचन और बहुवचन दो ही वचन होते हैं। विभक्ति रहित शब्दों के एक वचन से बहुवचन बनाने के नियम इस प्रकार हैं।
पुगंड़ो | पुगड़ा |
डालो | डाला |
कमलो | कमला |
कैंटो | कैंटा |
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१) औकारान्त पुलिंग शब्दों के अंतिम औ का आ कर देने से-
२)जिन शब्दों के अंत में अ, आ, इ, उ और औ हो उसके रूप प्रायः दोनों बचनों में एक से ही रहते हैं।
एकवचन | बहुवचन | प्रयोग |
भेल | भेल | मैदानु मा भेल कख छ्या। |
अदाण | अदाण | अदाण उम्लि गैन। |
परेक | परेक | द्वी परेक ठोक दी यार। |
खल्ला | खल्ला | बखरौं की खल्ला। |
माला | माला | माला अलसाणी छन। |
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